Tuesday, June 30, 2015

गरदौअा झरिया


 गरदौअा झरिया 

--- कुंदन अमिताभ ---

गरदौआ झरिया पड़ी - पड़ी कॆ
फोका बनी  टघरी टघरी कॆ
नद्दी दन्नॆं बढ़ी रहलॊ छै
जौरें आपनॊ  बूँदो के साथ

गरदौआ झरिया पड़ी - पड़ी कॆ
घोघी केरॊ संगी बनी कॆ
खोरैय खोरैय टप्पी रहलॊ छै
जौरें आपनॊ  बूँदो के साथ

गरदौआ झरिया पड़ी - पड़ी कॆ
सगरे बिथड़लॊ गंदगी कॆ
बहैनै लेनॆ जाय रहलॊ छै
जौरें आपनॊ   बूँदो के साथ

गरदौआ झरिया पड़ी - पड़ी कॆ
बयार सथें नरमी घोरी कॆ
घाम  ओरैनॆं जाय रहलॊ छै
जौरें  आपनॊ  बूँदो के साथ

गरदौआ झरिया पड़ी - पड़ी कॆ
जोंकटी सीनी के लानी करी कॆ
ऐंगनां मॆ  बिथराय रहलॊ छै
जौरें आपनॊ  बूँदो के साथ

गरदौआ झरिया पड़ी - पड़ी कॆ
चटिया सीनी के पीछू पड़ी कॆ
घॊर दन्नॆं बैहाय रहलॊ छै
जौरें आपनॊ  बूँदो के साथ

गरदौआ झरिया पड़ी - पड़ी कॆ
रोपनी सथें राग मिलाय कॆ
रोपनी गीत गाय रहलॊ छै
जौरें आपनॊ  बूँदो के साथ

Angika Poetry : Gardowa Jharia
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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