Sunday, June 7, 2015

बनभुटका

बनभुटका

--- कुंदन अमिताभ ---

मामा केरॊ पुष्टा
 पॆ लागलॊ झारी मॆं लूधलॊ
बनभुटका के तोड़ी लै छै  रोजे के रोज ?
झारी मॆं बनभुटका  ऐलॊ छै बड़ी जोर
कोनॊ करिया भुजंग  तॆ कोनॊ लाल टेस
कोनॊ पीरॊ-पीरॊ तॆ कोनॊ रेघा वाला हरिहर

मामा केरॊ पुष्टा पॆ लागलॊ झारी मॆं लूधलॊ
बनभुटका के तोड़ी लै छै  रोजे के रोज ?
परबैतनी सॆं पूछैं के तोड़ी लै छै ?
फैरछॊ होथैं ओहॆ सब जाय छै  गांग नहाय लॆ
नुंगा - फट्टा  लॆ कॆ  कंतरी थामनॆ- ओकरे काम छेकॊ

मामा केरॊ पुष्टा पॆ लागलॊ झारी मॆं लूधलॊ
बनभुटका के तोड़ी लै छै  रोजे के रोज ?
चटिया सीनी सॆं पूछैं के तोड़ी लै छै ?
बेरा लबला के पहिनॆ ओहॆ सब जाय  छै
स्कूली दन्नॆ  बस्ता लॆ कॆ पढ़ै लॆ - ओकरे काम छेकॊ

मामा केरॊ पुष्टा पॆ लागलॊ झारी मॆं लूधलॊ
बनभुटका के तोड़ी लै छै  रोजे के रोज ?
सगतोरनी सॆं पूछैं के तोड़ी लै छै ?
जलखय  बाद ओहॆ सब गुजरै  छै  पुष्टा दॆ कॆ  बैहारी दन्नॆ
साग तोरै लॆ खौचा - खौचा  - ओकरे काम छेकॊ

मामा केरॊ पुष्टा पॆ लागलॊ झारी मॆं लूधलॊ
बनभुटका के तोड़ी लै छै  रोजे के रोज ?
घसघरनी सॆं पूछैं के तोड़ी लै छै ?
रौद - बतास मॆं ओहॆ सब बअुऐतॆं रहै छै 
घास गढै लॆ खुरपी लॆ कॆ - ओकरे काम छेकॊ

मामा केरॊ पुष्टा पॆ लागलॊ झारी मॆं लूधलॊ
बनभुटका के तोड़ी लै छै  रोजे के रोज ?
धोरैबा सॆं पूछैं के तोड़ी लै छै ?
बेरा डुबला के  बाद ओहॆ सब लौटै छै बैहारी सॆं
माल-जाल लॆ कॆ - ओकरे काम छेकॊ

मामा केरॊ पुष्टा पॆ लागलॊ झारी मॆं लूधलॊ
बनभुटका के तोड़ी लै छै  रोजे के रोज ?
कोय तोरॆ कोय खाय  तोरॊ की जाय छौं
खाय वाला चीज छेकै खैबे करतै कनियान
परेशान नै हेयियॊ - जेकरा भाग्य मॆ जे छै - मिलबे करतै.

Angika Poetry : Banbhutka
Poetry from Angika Poetry Book Collection : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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