Friday, June 5, 2015

अन्याय असहज

--- कुंदन अमिताभ ---

अन्याय करना जों पाप छेकै
त॑ अन्याय सहना भी कम बड़ऽ पाप नै 
अन्याय  असहज कृति छेकै आरू
अन्याय  सहना आसान भी नै छै ।

अन्याय  सहना आसान भी नै छै
प्रभावित  चुप्प रहै छै ओकरा
अन्यायी के हरकत प॑ तरस आबै छै
अन्यायी के साथ ओकरऽ अपनत्व के संबंध रहै
लेकिन स्वार्थ  लोभ आरू बहकावा मं॑ 
अन्यायी आय जानी दुश्मन बनी गेलऽ छै
प्रभावित सोचतं॑ रहै छै शायद सद् बुद्धि आब॑
आरू  अन्यायी  सुधरी जाय 
सही रास्ता पकड़ी लिअ॑
अन्यायी छेकै कि  चुप्पी देखी सोचतं॑ रहै छै कि
सामने वाला त॑ डरपोक छै 
कत्त॑ असहाय आरू बेचारा छै ।

अन्याय  सहना आसान भी नै छै
प्रभावित केरऽ चुप्पी देखी  क॑
अन्यायी के मऽन  खूब बढ़लऽ जाय छै
नया नया तिकड़म करै म॑ भीड़ी जाय छै
एक के बाद दोसरऽ अपराध
एक झूठ के बाद दोसरऽ झूठ
एक क॑ छुपाबै ल॑ दोसरऽ अपराध
एक क॑ छुपाबै ल॑  दोसरऽ झूठ
आस्तं॑ - आस्तं॑ अपराध करना 
ओकरऽ आदत होय जाय छै
हर  बार जब॑ अपराध  करै छै
औचित्य आरू बहाना सं॑ सही ठहरैतैं रहै छै ।

अन्याय  सहना आसान भी नै छै
त॑ कि  अन्यायी केरऽ अन्याय सहतं॑ रहलऽ जाय ?
अन्याय - अन्यायी  सं॑  जंग जरूरी छै
जेकरा सं॑ अन्याय के अंत हुअ॑ सक॑
आरू अन्यायी व प्रभावित सहज स्वरूपऽ मं॑ आपनऽ 
जिंदगी जिअ॑ सक॑ ई धरती केरऽ 
एगो नम्रदिल इंसान  एन्हऽ
अन्याय आरू अन्यायी  प॑ विजय पाना छै
त॑ जंग जरूरी छै मानवता केरऽ हित मं॑
पर ई जंग  तोरऽ अंदर नै  बाहर होना चाहियऽ
बाहर  निष्क्रिय आरू अंदर जंग सं॑ कोय नतीजा नै
अन्याय आरू अन्यायी  उत्पात मचैतं॑ रहतै ।

अन्याय  सहना आसान भी नै छै
ई लेली आबऽ अन्याय आरू अन्यायी  के खात्मा लेली
न्याय के रक्षा लेली
मन सं॑ शांत रही क॑ अन्याय  के ऊपर प्रहार करलऽ जाय
जेकरा सं॑ अन्याय आरू अन्यायी  सं॑ निजात मिल॑ सक॑ 
कैन्हं॑ कि
अन्याय करना जों पाप छेकै
त॑ अन्याय सहना भी कम बड़ऽ पाप नै
अन्याय  असहज कृति छेकै आरू
अन्याय  सहना आसान भी नै छै ।

Angika Poetry : Anyaya Asahaj
Poetry from Angika Poetry Book Collection : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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