Tuesday, June 2, 2015

महज्जर

महज्जर

—– कुंदन अमिताभ —–

महज्जर छेकै भाय लोगॊ कॆ समझाना - महज्जर
तनी - तनी बातॊ पर फिकिर
आजकॊ फिकिर  कल का लेली
फेरू काल की करभॊ  ?
कालकॊ फिकिर काल करॊ  नॆ आय  कैन्हॆ करै छौ  ?
आजकॊ फिकिर कल कॆं तॆ नाशबॆ करथौं
आजकॆ भी चौपट करी देथॊं .

महज्जर छेकै भाय लोगॊ कॆ समझाना - महज्जर
फिकिर  मतलब  सुरूज  डूबै के कगार पर छै
छोटॊ - मोटॊ समस्या भी साँझकॊ परछाँय ऐन्हॊ बड़ॊ लौकै छै
महज्जर  तोरा सॆं दूर होय लॆ चाहै छै
लेकिन तोंय छौ कि पकड़ी कॆ राखै लॆ चाहै छहॊ
दमाही के मीहॊ जैसनॊ.
आरू बरदा के खूड़ॊ तलॆ पिसलॊ जाय छहॊ.

महज्जर छेकै भाय लोगॊ कॆ समझाना - महज्जर
एक - एक पल काटना तोरा महज्जर  लागै छहौं जिनगी के सफर मॆं
कैन्हॆं कि परिस्थिति कॆंं तोॆय आपनॊ अनुरूप ढालै लॆ चाहै छौ
जबकि तोरा ढलना छै परिस्थिति के अनुरूप 
परिस्थिति सॆं लड़तॆं - लड़तॆ लहूलूहान नै हुऒ
शुकून केरॊ छपरी मॆ शरण लॆ लॆ ऐन्हॊ मॆं
अखनकॊ क्षणॊ मॆं जियै के महत्ता जानै लॆ.

महज्जर छेकै भाय लोगॊ कॆ समझाना - महज्जर

Angika Poetry : Mahajjar
Poetry from Angika Poetry Book Collection : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
Please visit  angika.com  for more Angika language Poetry 



No comments:

Post a Comment