चन्नी पत्ता
--- कुंदन अमिताभ ---
अबरी गाँमॊं सॆं भौजी नॆ भेजाय देनै रहै
दू मुठ्ठा चन्नी के पत्ता आरू तनी टा चन्नी के बीया
कहलबैनॆ छेलै कि पत्ता तॆ नै चलथौं जादा
बीया बूनी लिहॊ गमला मॆं चलतें रहथौं सब दिना
डाली कॆ खैतें रहियॊ मछरी मॆं
दू दफा मछरी बनलै आरू चन्नी के पत्ता खतम
हिन्नॆ चन्नी के बीया बुनाय गेलॊ छेलै
आरू लारॊ सॆं झाँपी देलॊ गेलॊ रहै
जल्दिऎ चन्नी के पौध भी जनमी गेलॊ रहै
आरू चन्नी के पत्ता भॆ गेलै तैयार डालै लॆ मछरी मॆं
झरोखा केरॊ बाहर केरॊ फ्लावर पॉट वाला जगह
बदली गेलॊ रहै गामॊ के इनारा लगाँकरॊ ढिम्मा मॆं
जेकरा पर लागलॊ चन्नी केरॊ खुशबू छिरियैतैं रहै हवा मॆं
ढग्घर पर चलतॆं राहगीर भी बिना बतैनै जानी जाय रहै
आरू चन्नी के पत्ता तोड़ी लै रहै डालै लॆ मछरी मॆं
गाँव छुटला के बाद सबसॆं जादा याद आबै वाला मॆं
चन्नी के पत्ता भी छै - गामॊ के माटी पानी हवा ऐन्हॊ
मनुष्यॊ के पलायन होना आसान छै मनॊ के नै
देहॊ सॆं हटी मन बार-बार लौटै छै इनारा लगाँकरॊ ढिम्मा मॆं
जहाँ चन्नी के पत्ता तैयार रहै छै टूटी कॆ डलै लॆ मछरी मॆं
बुआरी,कतला,रोहू,टेंगड़ा,गैची,चेंगा,गरय,पोठिया,धनेरबा कि इचना
टोला मॆं जेकरा यहाँ भी ऐतै मछरी इनारा लगाँ राखलॊ
खपरी मॆं छारॊ लॆ कॆ साफ करी कॆ सब चोय्याँ छोरैलॊ जैतै
अँगना दन्ने बढ़ला के पहिनॆ भंसिया हाथ बढ़ैतै ढिम्मा दन्नॆ
जहाँ चन्नी के पत्ता तैयार रहै छै टूटी कॆ डलै लॆ मछरी मॆं
इंसान इंसान केरॊ जानॊ के भूक्खड़ बनी जाय छै
इंसान इंसान केरॊ जाल जमीन हसोतै मॆं लगी जाय छै
इंसान इंसान केरॊ इज्जत कॆ मिटाबै मॆं भिड़ी जाय छै
सब रंगॊ जंगॊ के गवाह बनी सुस्वाद फैलैतॆं रहै छै औढ़ी मॆ
चन्नी के पत्ता तैयार रहै छै टूटी कॆ डलै लॆ मछरी मॆं
अबरी गाँमॊं सॆं भौजी नॆ भेजाय देनै रहै
दू मुठ्ठा चन्नी के पत्ता आरू तनी टा चन्नी के बीया
कहलबैनॆ छेलै कि पत्ता तॆ नै चलथौं जादा
बीया बूनी लिहॊ गमला मॆं चलतें रहथौं सब दिना
डाली कॆ खैतें रहियॊ मछरी मॆं
Angika Poetry : Channi Patta
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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अबरी गाँमॊं सॆं भौजी नॆ भेजाय देनै रहै
दू मुठ्ठा चन्नी के पत्ता आरू तनी टा चन्नी के बीया
कहलबैनॆ छेलै कि पत्ता तॆ नै चलथौं जादा
बीया बूनी लिहॊ गमला मॆं चलतें रहथौं सब दिना
डाली कॆ खैतें रहियॊ मछरी मॆं
दू दफा मछरी बनलै आरू चन्नी के पत्ता खतम
हिन्नॆ चन्नी के बीया बुनाय गेलॊ छेलै
आरू लारॊ सॆं झाँपी देलॊ गेलॊ रहै
जल्दिऎ चन्नी के पौध भी जनमी गेलॊ रहै
आरू चन्नी के पत्ता भॆ गेलै तैयार डालै लॆ मछरी मॆं
झरोखा केरॊ बाहर केरॊ फ्लावर पॉट वाला जगह
बदली गेलॊ रहै गामॊ के इनारा लगाँकरॊ ढिम्मा मॆं
जेकरा पर लागलॊ चन्नी केरॊ खुशबू छिरियैतैं रहै हवा मॆं
ढग्घर पर चलतॆं राहगीर भी बिना बतैनै जानी जाय रहै
आरू चन्नी के पत्ता तोड़ी लै रहै डालै लॆ मछरी मॆं
गाँव छुटला के बाद सबसॆं जादा याद आबै वाला मॆं
चन्नी के पत्ता भी छै - गामॊ के माटी पानी हवा ऐन्हॊ
मनुष्यॊ के पलायन होना आसान छै मनॊ के नै
देहॊ सॆं हटी मन बार-बार लौटै छै इनारा लगाँकरॊ ढिम्मा मॆं
जहाँ चन्नी के पत्ता तैयार रहै छै टूटी कॆ डलै लॆ मछरी मॆं
बुआरी,कतला,रोहू,टेंगड़ा,गैची,चेंगा,गरय,पोठिया,धनेरबा कि इचना
टोला मॆं जेकरा यहाँ भी ऐतै मछरी इनारा लगाँ राखलॊ
खपरी मॆं छारॊ लॆ कॆ साफ करी कॆ सब चोय्याँ छोरैलॊ जैतै
अँगना दन्ने बढ़ला के पहिनॆ भंसिया हाथ बढ़ैतै ढिम्मा दन्नॆ
जहाँ चन्नी के पत्ता तैयार रहै छै टूटी कॆ डलै लॆ मछरी मॆं
इंसान इंसान केरॊ जानॊ के भूक्खड़ बनी जाय छै
इंसान इंसान केरॊ जाल जमीन हसोतै मॆं लगी जाय छै
इंसान इंसान केरॊ इज्जत कॆ मिटाबै मॆं भिड़ी जाय छै
सब रंगॊ जंगॊ के गवाह बनी सुस्वाद फैलैतॆं रहै छै औढ़ी मॆ
चन्नी के पत्ता तैयार रहै छै टूटी कॆ डलै लॆ मछरी मॆं
अबरी गाँमॊं सॆं भौजी नॆ भेजाय देनै रहै
दू मुठ्ठा चन्नी के पत्ता आरू तनी टा चन्नी के बीया
कहलबैनॆ छेलै कि पत्ता तॆ नै चलथौं जादा
बीया बूनी लिहॊ गमला मॆं चलतें रहथौं सब दिना
डाली कॆ खैतें रहियॊ मछरी मॆं
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