विकास धरपट
--- कुंदन अमिताभ ---
विकास तॆ खूब होलॊ छै हिन्नॆ !
हिन्नॆ कुछ सालॊ मॆं विकास धरपट होलॊ छै !
बेरोजगारी कमलॊ छै - पलायन बढ़लॊ छै
जनसंख्या कमलॊ छै - लङका-बच्चा बढ़लॊ छै
दूरी घटलॊ छै - परिवहन के साधन बढ़लॊ छै
विकास तॆ खूब होलॊ छै हिन्नॆ !
हिन्नॆ कुछ सालॊ मॆं विकास धरपट होलॊ छै !
अफसर बढ़लॊ छै - किसान घटलॊ छै
राज्य बढ़लॊ छै - भाषा घटलॊ छै
मोबाईल बढ़लॊ छै - संवाद घटलॊ छै
विकास तॆ खूब होलॊ छै हिन्नॆ !
हिन्नॆ कुछ सालॊ मॆं विकास धरपट होलॊ छै !
कच्चा घॊर बढ़लॊ छै - पक्का मंदिर बढ़लॊ छै
Angika Poetry : Vikash Dharpat
Poetry from Angika Poetry Book Collection : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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तीर्थ यात्री बढ़लॊ छै - तीर्थ यात्रा घटलॊ छै
काँवरिया बढ़लॊ छै - श्रद्धालु घटलॊ छै
विकास तॆ खूब होलॊ छै हिन्नॆ !
काँवरिया बढ़लॊ छै - श्रद्धालु घटलॊ छै
विकास तॆ खूब होलॊ छै हिन्नॆ !
हिन्नॆ कुछ सालॊ मॆं विकास धरपट होलॊ छै !
कनेक्टिविटी बढ़लॊ छै - गाँव गाँव कटलॊ छै
कानून घटलॊ छै - भ्रष्टाचार बढ़लॊ छै
अंधविश्वास घटलॊ छै - अंधमानसिकता बढ़लॊ छै
अंधविश्वास घटलॊ छै - अंधमानसिकता बढ़लॊ छै
विकास तॆ खूब होलॊ छै हिन्नॆ !
हिन्नॆ कुछ सालॊ मॆं विकास धरपट होलॊ छै !
विरोधी स्वर घटलॊ छै - तानाशाही प्रवृति बढ़लॊ छै
धार्मिकता बढ़लॊ छै - धार्मिक प्रहार बढ़लॊ छै
देशभक्त बढ़लॊ छै - देशभक्ति घटलॊ छै
विकास तॆ खूब होलॊ छै हिन्नॆ !
हिन्नॆ कुछ सालॊ मॆं विकास धरपट होलॊ छै !
Poetry from Angika Poetry Book Collection : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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