कैसनॊ ज्ञान
--- कुंदन अमिताभ ---
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरॊ भोलापन ही खतम करी दहौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरा सुपरमैन केरॊ एहसास दिलाभौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरा ज्ञानी होय केरॊ एहसास दिलाभौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरा खुशी के एहसास नै दिलाभौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरा मुक्त होय के एहसास नै दिलाभौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरॊ मन के अशुद्ध करौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
Angika Poetry : Kasnow Gyani
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरॊ भोलापन ही खतम करी दहौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरा सुपरमैन केरॊ एहसास दिलाभौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरा ज्ञानी होय केरॊ एहसास दिलाभौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरा खुशी के एहसास नै दिलाभौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरा मुक्त होय के एहसास नै दिलाभौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
जे ज्ञान तोंय अर्जलॆ छहॊ ओंय
जोंय तोरॊ मन के अशुद्ध करौं
तॆ इ ज्ञान कोन कामॊ के
इ ज्ञान तॆ एक बोझ ही भेलै
जिनगी बगदाय देथौं
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