Sunday, June 14, 2015

हम्मं॑ आगू सपना पीछू

--- कुंदन अमिताभ ---

हम्मं॑  एतना तेज दरबन लगैलियै
कि होय गेलियै हम्मं॑ आगू 
रही गेलै सपना पीछू
हम्मं॑ आगू सपना पीछू ।

मारी देलियै सबक॑ ------
साँप बिच्छू सथं॑ जोंकटी क॑ भी
भेड़िया लकड़बग्घा सथं॑ गाय क॑ भी
कृत्रिम साधन अपनाय लेलियै
अन्न उत्पादन के - दुग्ध उत्पादन के भी
कि होय गेलियै हम्मं॑ आगू 
रही गेलै सपना पीछू
हम्मं॑ आगू सपना पीछू ।

काटी देलियै सबक॑ ------
झार झंखार सथं॑ वन उपवन क॑ भी
करमी सिनवार सथं॑ सागवन क॑ भी
कृत्रिम साधन अपनाय लेलियै
बूहऽ प्रबंधन के - जल प्रबंधन के भी
कि होय गेलियै हम्मं॑ आगू 
रही गेलै सपना पीछू
हम्म॑ आगू सपना पीछू ।

पाटी देलियै सबक॑ ------
परती बंजर सथं॑ उपजाऊ मैदान क॑ भी
उच्चऽ-उच्चऽ पहाड़ सथं॑ पवन आसमान क॑ भी
कृत्रिम रसायन अपनाय लेलियै
उत्पादन वृद्धि के - वातावरण शुद्धि के भी
कि होय गेलियै हम्म॑ आगू 
रही गेलै सपना पीछू
हम्म॑ आगू सपना पीछू ।

नाशी देलियै सबक॑ ------
परिवार बाजार सथं॑ सौसै समाज क॑ भी
हटिया मेला सथं॑ चौपाल क॑ भी
कृत्रिम संवाद अपनाय लेलियै
मोबाइल सं॑ जोडै के - इंटरनेट सं॑ जोड़ै के भी
कि होय गेलियै हम्म॑ आगू 
रही गेलै सपना पीछू
हम्म॑ आगू सपना पीछू ।

हम्मं॑ ऐतना तेज दरबन लगैलियै
कि होय गेलियै हम्मं॑ आगू 
रही गेलै सपना पीछू
हम्मं॑ आगू सपना पीछू ।

Angika Poetry : Hamme Aagoo Sapna Peechhoo
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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