Wednesday, June 24, 2015

सुपती मौनी सॆं जादा नै


सुपती मौनी सॆं जादा नै

--- कुंदन अमिताभ ---

सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ आबी गेलै बिदाई दिन
मचकलॊ लागॆ लगलै जिनगी
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के

सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ आबी गेलै  सनेश
सरकलॊ पहुँचलै निरमोही ससुर बिदागिरी लॆ
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के

सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ आबी गेलै  लॊर
ससरलॊ  बहॆ  लगलै गंगा धार
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के

सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ जमी गेलै  गोर
कचकलॊ  लगै  लगलै हिरदय
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के

सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ  नजर भेलै किधोर
घड़कलॊ लगै लगलै  ओर छोर
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के

सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं 
संस्कार चिकरतॆं रहलै हर पल पर
बाल विवाह के बलि  चढ़तॆं रहलॊॆ 
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के

सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं 
भाग्य कॆ कोसतॆं रहलॊं हर पल पर
जिनगी तबाह होतॆ  देखतॆं रहलॊॆं
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के

Angika Poetry : Supti Mouni Se Jaada Nai
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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