सुपती मौनी सॆं जादा नै
--- कुंदन अमिताभ ---
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ आबी गेलै बिदाई दिन
मचकलॊ लागॆ लगलै जिनगी
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ आबी गेलै सनेश
सरकलॊ पहुँचलै निरमोही ससुर बिदागिरी लॆ
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ आबी गेलै लॊर
ससरलॊ बहॆ लगलै गंगा धार
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ जमी गेलै गोर
कचकलॊ लगै लगलै हिरदय
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ नजर भेलै किधोर
घड़कलॊ लगै लगलै ओर छोर
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
संस्कार चिकरतॆं रहलै हर पल पर
बाल विवाह के बलि चढ़तॆं रहलॊॆ
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
भाग्य कॆ कोसतॆं रहलॊं हर पल पर
जिनगी तबाह होतॆ देखतॆं रहलॊॆं
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
Angika Poetry : Supti Mouni Se Jaada Nai
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ आबी गेलै बिदाई दिन
मचकलॊ लागॆ लगलै जिनगी
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ आबी गेलै सनेश
सरकलॊ पहुँचलै निरमोही ससुर बिदागिरी लॆ
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ आबी गेलै लॊर
ससरलॊ बहॆ लगलै गंगा धार
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ जमी गेलै गोर
कचकलॊ लगै लगलै हिरदय
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
अचकलॊ नजर भेलै किधोर
घड़कलॊ लगै लगलै ओर छोर
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
संस्कार चिकरतॆं रहलै हर पल पर
बाल विवाह के बलि चढ़तॆं रहलॊॆ
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
सुपती मौनी खेलतॆं - खेलतॆं
भाग्य कॆ कोसतॆं रहलॊं हर पल पर
जिनगी तबाह होतॆ देखतॆं रहलॊॆं
तॆ दोष केकरॊ - भाग्य के कि माय के कि बाबू के
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