मतरसुन्न लहर
--- कुंदन अमिताभ ---
समुंदर केरौ गर्भ सँ उठी करगी सँ
टकराबै छै - मतरसुन्न लहर
केकरो नै सुनै छै खाली आपनौ
इ सुनाबै छै - मतरसुन्न लहर
दूर सँ एकदम शांत लगीच सँ चंचल
इ हियाबै छै - मतरसुन्न लहर
ढेंस ल-ल करी चट्टानौ क भी हरदम
ललकारै छै - मतरसुन्न लहर
घहरी-घहरी करी क सब्भै पर कहर
बरपाबै छै - मतरसुन्न लहर
हहरी-हहरी करी क ई सब्भै क ही
बहियाबै छै - मतरसुन्न लहर
धरा मिलन सँ खुश होय क करगी प फेन
छिरियाबै छै - मतरसुन्न लहर
कवरल संगीत केरौ लय ल क गीतो
गुनगुनबै छै - मतरसुन्न लहर
सागर संगम केरौ प्रण ल क बूँदौ मँ
छहराबै छै - मतरसुन्न लहर ।
Angika Poetry : Matarsunna Lahar
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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समुंदर केरौ गर्भ सँ उठी करगी सँ
टकराबै छै - मतरसुन्न लहर
केकरो नै सुनै छै खाली आपनौ
इ सुनाबै छै - मतरसुन्न लहर
दूर सँ एकदम शांत लगीच सँ चंचल
इ हियाबै छै - मतरसुन्न लहर
ढेंस ल-ल करी चट्टानौ क भी हरदम
ललकारै छै - मतरसुन्न लहर
घहरी-घहरी करी क सब्भै पर कहर
बरपाबै छै - मतरसुन्न लहर
हहरी-हहरी करी क ई सब्भै क ही
बहियाबै छै - मतरसुन्न लहर
धरा मिलन सँ खुश होय क करगी प फेन
छिरियाबै छै - मतरसुन्न लहर
कवरल संगीत केरौ लय ल क गीतो
गुनगुनबै छै - मतरसुन्न लहर
सागर संगम केरौ प्रण ल क बूँदौ मँ
छहराबै छै - मतरसुन्न लहर ।
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
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