Monday, June 22, 2015

मतरसुन्न लहर


मतरसुन्न लहर

--- कुंदन अमिताभ ---

समुंदर केरौ गर्भ सँ उठी करगी सँ
टकराबै छै  - मतरसुन्न लहर

केकरो नै सुनै छै खाली आपनौ
इ सुनाबै छै - मतरसुन्न लहर

दूर सँ एकदम शांत लगीच सँ चंचल
इ हियाबै छै - मतरसुन्न लहर

ढेंस ल-ल करी चट्टानौ क भी हरदम
ललकारै छै  - मतरसुन्न लहर

घहरी-घहरी करी क सब्भै पर कहर
बरपाबै छै  - मतरसुन्न लहर

हहरी-हहरी करी क ई सब्भै क ही
बहियाबै छै - मतरसुन्न लहर

धरा मिलन  सँ  खुश होय क करगी प फेन
छिरियाबै छै - मतरसुन्न लहर

कवरल  संगीत  केरौ लय ल क गीतो  
गुनगुनबै छै - मतरसुन्न लहर

सागर संगम केरौ प्रण ल क बूँदौ मँ
छहराबै छै - मतरसुन्न लहर ।

Angika Poetry : Matarsunna Lahar
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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