Tuesday, June 23, 2015

बाबा हम्मॆं शर्मिंदा


बाबा हम्मॆं शर्मिंदा

--- कुंदन अमिताभ ---

साईं बाबा हम्मॆं शर्मिंदा

गाछी लगाँ परलॊ पत्थर कॆ भी पूजै घड़ियाँ
नै जानै के कोशिश करलियै
कि कैन्हॊ पत्थर छै के लानलॆ छै
कहाँ सॆं लानलॆ छै
बस सिंनूर - टीका लगाय पूजी करी कॆ
मन प्राण कॆ परम ईश  सॆं जोड़तॆं रहलियै
पर साईं तोंय तॆ जहिया फकीर रूपॊ मॆं
शिरडी ऐलो रहॊ तहिया भी
आरू आय जबॆ समाधि मॆं छो
तभियॊ प्रश्नॊ के बौछार झेली रहलॊ छो
बार - बार पूछै छियौं --- कहाँ सॆं ऐल्हॆ साईं, कहाँ सॆं
साईं बाबा हम्मॆं शर्मिंदा

तोंय न्योतल्हॊ सबकॆ कहलॊ जे भी ऐतै शिरडी
सब अपाय तत्क्षण हरी लेभॊ 
तोंय कहलो चढ़ॊ समाधि के सीढ़ी  दुःख - दरिद्री चिंता सब मिटाय देभॊ
तोंय कहलो देह त्यागी देलियै तॆ कि आपनॊ भक्तॊ लेली दौड़लो ऐभॊ
तोंय कहलो समाधि पॆ भरोसा रखॊ इ सबके मनोकामना पूरा करतै
तोंय कहलो इ अक्षरशः सत्य मानॊ कि तोंय जिन्दा छो - कहलॊ नित प्रचीति लॆ
तोंय कहलॊ सबकेरॊ मालिक एक
हम्मॆं पूछलियै मंदिर - मस्जिद जाय वाला बाबा 
तोंय के छेकॊ कहाँ सॆं ऐलॊ  छहॊ
इ तॆ बताबॊ तोरॊ जात की तोरॊ धर्म की 
तोरॊ तॆ नाम भी नै छौं कोनो धर्मग्रन्थॊ मॆं
साईं बाबा हम्मॆं शर्मिंदा

शिरडी साईं बाबा तोंय तॆ चुनौती  देल्हॊ
कहलॊ कि बताबॊ जों कोय खाली हाथ
कोय  अनुत्तर लौटलॊ छै , तोरा दरबार सॆं
तोरा भक्तॊ के कत्तॆ ख्याल छौं - हेकरै सॆं  पता चलै छै
तोंय तॆ यहाँ तलक कहलॊ कि  निःसंशय
भक्तॊ के सब भार उठैभॊ - सब  माँग पूरा करभॊ
हम्मॆं  तोरा वैदिक धर्म लेली एगॊ अभिशाप बतलैलिहौं
कहलिहौं तोरो पूजा करना ही गलत छेकै 
तोरो पूजा करना हिंदू धरम कॆ बाँटै के साजिश छेकै
पूजा गुरू या अवतार के करलॊ जाय छै  - तोंय तॆ कुछ नै
तोंय बिष्णु केरॊ चौबीस अवतारॊ मॆं भी नै छो
तोंय तॆ पंडारक समाज केरॊ अदना सा औलाद
साईं बाबा हम्मॆं शर्मिंदा

तोरॊ  तॆ कोय नै, जीवन निर्वाह भी भिक्षाटन सॆं करै रहॊ
भक्तॊ के पाप आरू दुर्भाग्य हटाबै लॆ आटा पीसै मॆं लागलॊ  रहै छेलॊ  -
जाता केरॊ दू पाट - भक्ति आरू कर्म  आरू जाता  के मुठिया - ज्ञान सॆं
तोरॊ तॆ दृढ़ विश्वास छेल्हौं  कि  दुष्कर छै मानव हृदय सॆं
गलत प्रवृत्ति, आसक्ति, घृणा, अहंकार केरॊ नष्ट होना
जब तलक नष्ट नै होय छै - आत्मानुभूति संभव नै
कि बाबा तोंय समाघि मॆं  भी अभी चक्की पीसी रहलॊ छहॊ
 जेकरा सॆं हमरा आत्मानुभूति हुऎ सकॆ
तोरा सॆं बढ़ी कॆ के गुरू हुऎ सकै छै
तोरॊ हम्मॆं केना पूजा अर्चना नै करबै
साईं बाबा तोरॊ कर्ज केना करलॊ जैतै अदा
साईं बाबा हम्मॆं शर्मिंदा

Angika Poetry : Baba Hammein Sharminda
Poetry from Angika Poetry Book : Sarang
Poet : Kundan Amitabh
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