Tuesday, May 9, 2017

जीवन बड़ा छै जनम मरण स॑


-- कुंदन अमिताभ -- 

जीवन कहीं अधिक बड़ा छै-
विफलता या सफलता स॑
मरण या जनम स॑
जीवन कहीं बहुत आगे छै-
विफलता या सफलता स॑
मरण या जनम स॑

जों तोरा लगां ऐन्हऽ ताकत छौं
जों तोरा लगां ऐन्हऽ समझ छौं
त॑ तोंय राजा छेको
तोंय राजा ऐसनऽ काम करभो
कोय तोरा हिलाब॑ नै पारथौं
कोय तोरा डगमगाब॑ नै सकथौं ।

मरण-जनम लगलऽ छै युगऽ-युगऽ स॑
विफलता या सफलता लागलऽ छै युगऽ-युगऽ स॑
जीवन फिर भी चली रहलऽ छै
अथाह जीवन केरऽ एगो अध्याय मात्र छेकै -
जनम, मरण,
सफलता, विफलता ।

पूरा जीवन ही विफलता नै छेकै
पूरा जीवन ही सफलता नै छेकै
जेना पूरा जीवन ही मरण नै छेकै
पूरा जीवन ही जनम नै छेकै
अपना क॑ कमजोर नै मानऽ
प्रार्थना कमजोर क॑ मजबूत बनैल॑ रखै छै ।

विफलता स॑ घबड़ाना कैसनऽ?
सफलता स॑ हड़बड़ाना कैसनऽ?
अपना क॑ पहचानऽ
महसूस करऽ तोंय मुकम्मल छेको
महसूस करऽ तोंय शुद्ध छेको
महसूस करऽ तोंय सनातन छेको ।


Angika Poetry : जीवन बड़ा छै जनम मरण स॑
 Poetry from Angika Poetry Book :
 Poet : Kundan Amitabh
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